Sunday, October 13, 2013

संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें

संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें

पशुओं के दाना मिश्रण में काम आने वाले पदार्थों का नाम जान लेना ही काफी नही है। क्योंकि यह ज्ञान पशुओं का राशन परिकलन करने के लिए काफी नही है। एक पशुपालक को इस से प्राप्त होने वाले पाचक तत्वों जैसे कच्ची प्रोटीन, कुल पाचक तत्व और चयापचयी उर्जा का भी ज्ञान होना आवश्यक है। तभी भोज्य में पाये जाने वाले तत्वों के आधार पर संतुलित दाना मिश्रण बनाने में सहसयता मिल सकेगी। नीचे लिखे गये किसी भी एक तरीके से यह दाना मिश्रण बनाया जा सकता है, परन्तु यह इस पर भी निर्भर करता है कि कौन सी चीज सस्ती व आसानी से उपलब्ध है।

1. मक्का/जौ/जर्इ 40 किलो मात्रा

बिनौले की खल 16 किलो

मूंगफली की खल 15 किलो

गेहूं की चोकर 25 किलो

मिनरल मिक्सर 02 किलो

साधारण नमक 01 किलो

कुल 100 किलो

2. जौ 30 किलो

सरसों की खल 25 किलो

बिनौले की खल 22 किलो

गेहूं की चोकर 20 किलो

मिनरल मिक्स 02 किलो

साधारण नमक 01 किलो

कुल 100 किलो

3. मक्का या जौ 40 किलो मात्रा

मूंगफली की खल 20 किलो

दालों की चूरी 17 किलो

चावल की पालिश 20 किलो

मिनरल मिक्स 02 किलो

साधारण नमक 01 किलो

कुल 100 किलो

4. गेहूं 32 किलो मात्रा

सरसों की खल 10 किलो

मूंगफली की खल 10 किलो

बिनौले की खल 10 किलो

दालों की चूरी 10 किलो

चौकर 25 किलो

मिनरल मिक्स 02 किलो

नमक 01 किलो

कुल 100 किलो

5. गेहूं, जौ या बाजरा 20 किलो मात्रा

बिनौले की खल 27 किलो

दाने या चने की चूरी 15 किलो

बिनौला 15 किलो

आटे की चोकर 20 किलो

मिनरल मिक्स 02 किलो

नमक 01 किलो

कुल 100 किलो

ऊपर दिया गया कोर्इ भी संतुलित आहार भूसे के साथ सानी करके भी खिलाया जा सकता है। इसके साथ कम से कम 4-5 किलो हरा चारा देना आवश्यक है।

दाना मिश्रण के गुण व लाभ

• यह स्वादिष्ट व पौष्टिक है।

• ज्यादा पाचक है।

• अकेले खल, बिनौला या चने से यह सस्ता पड़ता हैं।

• पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखता है।

• बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं।

• दूध व घी में भी बढौतरी करता है।

• भैंस ब्यांत नहीं मारती।

• भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं।

• कटडे या कटड़ियों को जल्द यौवन प्रदान करता है।

संतुलित दाना मिश्रण कितना खिलायें

1. शरीर की देखभाल के लिए:
गाय के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए 2 किलो प्रतिदिन

2. दुधारू पशुओं के लिए:

· गाय प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना

· भैंस प्रत्येक 2 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना

3. गाभिन गाय या भैंस के लिए:

· 6 महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को 1 से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन फालतू देना चाहिए।

4. बछड़े या बछड़ियों के लिए:

· 1 किलो से 2.5 किलो तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।

5. बैलों के लिए:

· खेतों में काम करने वाले भैंसों के लिए 2 से 2.5 किलो प्रतिदिन

· बिना काम करने वाले बैलों के लिए 1 किलो प्रतिदिन।

नोट : जब हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो उपरलिखित कुल देय दाना 1/2 से 1 किलो तक घटाया जा सकता है।
संतुलित आहार

संतुलित आहार उस भोजन सामग्री को कहते हैं जो किसी विशेष पशु की 24 घन्टे की निर्धारित पौषाणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संतुलित राशन में कार्बन, वसा और प्रोटीन के आपसी विशेष अनुपात के लिए कहा गया है। सन्तुलित राशन में मिश्रण के विभिन पदाथोर् की मात्रा मौसम और पशु भार तथा उसकी उत्पादन क्षमता के अनुसार रखी जाती है। एक राशन की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है ‘एक भैंस 24 घण्टे में जितना भोजन अन्तगर््रहण करती है, वह राशन कहलाता है।’ डेरी राशन या तो संतुलित होगा या असंतुलित होगा। असंतुलित राशन वह होता है जोकि भैंस को 24 घण्टों में जितने पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है वह देने में असफल रहता है जबकि संतुलित राशन ‘ठीक’ भैंस को ‘ठीक’ समय पर ‘ठीक’ मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करता है। संतुलित आहार में प्रोटीन, कार्बोहार्इड्रेट, मिनरल्स तथा विटामिनों की मात्रा पशु की आवश्यकता अनुसार उचित मात्रा में रखी जाती है|

.भैंस को जो आहार खिलाया जाता है, उसमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि उसे जरूरत के अनुसार शुष्क पदार्थ, पाचक प्रोटीन तथा कुल पाचक तत्व उपलब्ध हो सकें। भैंस में शुष्क पदार्थ की खपत प्रतिदिन 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम शरीर भार के अनुसार होती है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि 400 किलोग्राम वजन की भैंस को रोजाना 10-12 किलोग्राम शुष्क पदार्थ की आवश्यकता पड़ती है। इस शुष्क पदार्थ को हम चारे और दाने में विभाजित करें तो शुष्क पदार्थ का लगभग एक तिहार्इ हिस्सा दाने के रूप में खिलाना चाहिए।

.उत्पादन व अन्य आवश्यकताओं के अनुसार जब हम पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा निकालते हैं तो यह गणना काफी कठिन हो जाती है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि जो चारा पशु को खिलाया जाता है उसमें पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा ज्ञात करना किसान के लिए लगभग असंभव है। ऐसा इसलिए है कि पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा प्रत्येक चारे के लिए अलग होती है। यह चारे की उम्र/परिपक्वता के अनुसार बदल जाती है। अनेक बार उपलब्धता के आधार पर कर्इ प्रकार का चारा एक साथ मिलाकर खिलाना पड़ता है। किसान चारे को कभी भी तोलकर नहीं खिलाता है। इन परिस्थितियों में सबसे आसान तरीका यह है कि किसान द्वारा खिलाये जाने वाले चारे की गणना यह मान कर की जाये की पशु को चारा भरपेट मिलता रहे। अब पशु की जरूरत के अनुसार पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों में कमी की मात्रा को दाना मिश्रण देकर पूरा कर दिया जाता है। इस प्रकार भैंस को खिलाया गया आहार संतुलित हो जाता है।

जीवन की अवस्थायें और आहार की आवश्यकता

भैंस को आहार खिलाते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए की वह आहार किस उद्देश्य के लिए दिया जा रहा है तथा भैंस के शरीर में वह आहार कहाँ और कैसे उपयोग में आता है। इस आèाार पर आहार/राशन को हम निम्नलिखित भागों में बाँट सकते हैं।

- जीवन निर्वाह आहार(1)

- बढ़वार आहार(2)

- गर्भावस्था आहार(3)

- उत्पादकता आहार(4)

जीवन निर्वाह आहार - चारे तथा दाने की वह कम से कम मात्रा जो पशु की आवश्यक जीवन क्रियाओं के लिए जरूरी होती है जिससे पशु विशेष के वजन में न तो कमी आये न ही वृद्धि हो, जीवन निर्वाह आहार कहलाती है। जीवन निर्वाह आहार की मात्राा पशु के वजन पर निर्भर करती है। दूसरे शब्दों में अधिक वजन वाले पशु को जीवन निर्वाह के लिए अधिक आहार की आवश्यकता पड़ती है। चारे के अतिरिक्त एक वयस्क भैंस को लगभग एक से दो किलोग्राम दाना मिश्रण जीवन निर्वाह आहार के रूप में दिया जाता है।

बढ़वार आहार - चारे व दाने की वह मात्रा जो छोटे बच्चों की शारीरिक वृद्धि कर उनका वजन बढ़ाने में खर्च होती है, बढ़वार राशन कहलाती है। इसे जीवन निर्वाह आहार के अतिरिक्त दिया जाता है। बढ़ते हुए कटड़े/कटड़ियों को उम्र के अनुसार आधा किलो से दो किलो तक दाना मिश्रण चारे के अतिरिक्त खिलाया जाता है।

गर्भावस्था आहार - पशु के सात महीने से अधिक की गाभिन होने पर उसे जीवन निर्वाह के अतिरिक्त गर्भावस्था में बच्चे के विकास तथा स्वयं को प्रसूतिकाल और उसके बाद स्वस्थ रखने के लिए जिस अतिरिक्त राशन की आवश्यकता होती है उसे गर्भावस्था आहार कहते है। भैंस को चारे की गुणवत्ता और गर्भाधान के दिन के आधार पर आठवें महीने से 1 से 2 किलोग्राम दाना मिश्रण अवश्य दिया जाता है।

उत्पादकता आहार - जीवन निर्वाह आहार के अतिरिक्त जो राशन दूध उत्पादन के लिए दिया जाता है, वह उत्पादकता आहार कहलाता है। उत्पादकता आहार की मात्रा भैंस द्वारा दिये जाने वाले दूèा पर निर्भर करती है। दूसरे शब्दों में अधिक दूध देने वाली भैंस को अधिक उत्पादकता आहार दिया जाता है। भैंस को प्रत्येक दो किलोग्राम दूध पर (6 से 7 कि0ग्रा0 प्रतिदिन दूध होने पर) एक किलोग्राम दाना मिश्रण की आवश्यकता पड़ती है। यह भरपेट अच्छे चारे के अतिरिक्त होती है।



जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में आहार की आवश्यकता इस प्रकार होती है।
भैंस                           1          2           3          4
शुष्क व बूढी भैंस                ü          û          û           û
कटडे़/कटड़ियां                   ü          ü          û           û
गाभिन कटड़ी                   ü          ü          û           û
पहलौन कटड़ी                   ü          ü          ü           ü
दूध देने वाली भैंस               ü          û           û           ü
दूध देने वाली गाभिन भैंस         ü          û           û           ü
शुष्क किन्तु गाभिन भैंस          ü          û           ü           û
पहलौन दूध देने वाली गाभिन भैंस  ü          ü          ü           ü
ü    आवश्यकता है
û     आवश्यकता नहीं  है
इस तालिका से स्पष्ट है कि वे भैसें जो दूध नहीं देती, गाभिन नहीं है और बूढ़ी हो चली हैं, उन्हें केवल जीवन निर्वाह के लिए ही आहार की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत जिस कटड़ी ने पहली बार बच्चा दिया है तथा फिर गाभिन भी हो गर्इ है, उसे सबसे अधिक आहार की जरूरत पड़ती है। प्रजनन की सबसे अधिक समस्यायें इन्हीं भैंसों में देखने को मिलती हैं क्योंकि इन्हें जीवन निर्वाह व उत्पादकता आहार के अतिरिक्त शरीर की बढ़वार के लिए भी पोषण की आवश्यकता होती है। यदि ब्याने के बाद भैंस का वजन तेजी से घटता है तो यह इस बात का प्रतीक है कि उसे आवश्यकतानुसार आहार नहीं मिल पा रहा है। प्रारम्भ में भैंस अपने अन्दर भंडारित ऊर्र्जा स्रोत वसा को प्रयोग में लाती है। उसके समाप्त होने पर वह अपने अंदर के प्रोटीन को प्रयोग में लाती है। तब भी आवश्यकतानुसार राशन नहीं मिलने पर उसका उत्पादन व बढ़वार दोनों बुरी तरह प्रभावित होते हैं। यहाँ ध्यान रखने योग्य बात यह है कि प्रजनन के लिए शरीर को ऊर्जा तभी मिलती है जब जीवन निर्वाह, बढ़वार और उत्पादन के लिये आवश्यक पोषण पशु को ठीक प्रकार से मिल रहे हों। किसी एक में भी कमी रहने पर सबसे पहले प्रजनन ही बाधित होता है। अत: यह कहा जा सकता है कि संतुलित आहार भैंस के स्वास्थ्य तथा उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता बनाये रखने के लिये आवश्यक है।
http://buffalopedia.cirb.res.in/index.php?option=com_content&view=article&id=339&Itemid=258&lang=en

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