Sunday, October 13, 2013

प्रसव अवस्था

बाह्य परीक्षण द्वारा गर्भधारण का अनुमान
कृत्रिम गर्भाधान के बाद यदि भैंस गाभिन हो जाती है तो निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं जिससे हम एक बस अनुमान लगा सकते हैं। ये लक्षण निम्नलिखित हैं:-
Ø   गर्भधारण करने के बाद भैंसें साधारणतया गर्मी में नहीं आती है।
Ø   गर्भधारण करने के बाद भैंसें अधिक शांत हो जाती है।
Ø   गर्भधारण के शुरू के महीनों में भैंसों में चर्बी बढ़ने की प्रवृति (Fattening tendency)   देखने को मिलती है।
Ø   दूध उत्पादन में कमी जाती है।
Ø   शरीर का भार धीरे धीरे बढ़ने लगता है।
Ø   पेट का आकार भी धीरे धीरे बढ़ने लगता है।
Ø   कटड़ियों में लगभग 5-6 महीनों के बाद से ही थन का आकार बढ़ने लगता है जबकि मादा भैंसों में ये लक्षण प्रसव के 2-3 सप्ताह मात्र पहले देखने को मिलते हैं।
Ø   कुछ भैंसों में थन का आगे वाले भाग में सूजन गर्भ के अंतिम महीनों के दौरान देखने को मिलती है।
भैंसो में गर्भ जांच
भैंसो में गर्भ की जांच का मुख्य उद्देश्य यह है कि कृत्रिम गर्भाधान या प्राकृतिक संभोग के बाद कम से कम समय में यह आश्वस्त होना है कि हमारी भैंसे गर्भधारण  किया है  अथवा नहीं। यदि गर्भधारण  हुआ है तो यह कितने दिन का है तथा भ्रूण की क्या स्थिति है। यदि गर्भधारण  नहीं हुआ है तो इसके कारणों की जानकारियां भी जल्द से जल्द पता लगाने में सहायता मिलती है, जो किसानों को आर्थिक क्षति से बचाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि औरतों में मूत्र की जाँच से गर्भधारण  का पता चल जाता है। दुर्भाग्यवश, भैसों में इस तरह की कोर्इ शर्तिया जाँच नहीं है। साधारणतया  भैंसों में गर्भधारण के 7-8 महीनों के बाद बाहर से देखकर किसान बता देते हैं कि भैंस गाभिन है कि नहीं। लेकिन हमारा उद्देश्य है कि गर्भधारण का पता शुरू के 40-60 दिन में लग जाए तो ये किसानों के हित में होगा। भैंसों में गर्भधारण की जाँच बहुत सी विधियों से की जाती है जिनमें प्रमुख है :
·        बाह्य परीक्षण (External examination)
·        गुदा मार्ग द्वारा परीक्षण (Per-rectal examination),
·        खून तथा दूध में प्रोजेस्टेरोन का स्तर,
·        अल्ट्रासाउंड विधि इत्यादि।



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