Friday, November 8, 2013

पशु के लियेअन्य उपयोगी सुझाव सदैव करें:

पशु के लिये अन्य उपयोगी सुझाव सदैव करें:
   
1. प्रतिष्ठित पशु आहार निर्माता का बनाया हुआ उत्तम गुणवत्ता का पौष्टिक एवं ताजा आहार का प्रयोग            करें।
   
2. पशुओ का टीकाकरण सही समय पर करायें ।
   
3. पशु को पर्याप्त मात्रा में ठण्डा व स्वच्छ पानी समय समय पर उपलब्ध करायें साथ ही यह जांच करें कि              पशु पानी पी रहा है या नही ।
   
4. पशु को ठण्डे व स्वच्छ हवादार वातावरण में रखें।
   
5. पशु सम्बधित लेखा अवश्य रखें जैसे आहार का खर्च, गर्भाधान का समय टीकाकरण का समय और                 दुग्ध उत्पादन आदि ।
   
  कभी न करें:
   
1. खुला नकली एवं बिना मार्क वाले पशु आहार के प्रयोग से बचे।
   
2. टीका व पशुओ के उपचार में उपयोग होने वाली अन्य ओषधियों पर अंकित सही अवधि समाप्त होने के          बाद उनको प्रयोग में न लायें।
   
3. पुराना व खराब व फफूंदी युक्त आहार पशु को न खिलायें।
   
4. पशु को दूषित वातावरण एवं जहरीले पदार्थ से दूर रखें।
   
5. दूध निकालने के लिए आक्सीटोसिन इन्जैक्शन का प्रयोग कदापि न करें।

 बांझपन क्या है?:
   
1.पशुओं में गर्भधारण एवं उसके लिए जिम्मेदार शारीरिक अगों के कार्य और क्रियाओं की क्षमता में कमी अथवा अनुपस्थिति को बांझपन कहा जाता है।
   
2.पशुओ में बांझपन दो प्रकार के होते है स्थायी बांझपन पशु के गर्भाशय अंडाशय व अन्य अंगो की बनावट में विकृतियों के कारण होता है। यह जन्मजात भी हो सकता है। स्थायी बांझपन का इलाज संभव नहीं
3.अस्थायी बांझपन गर्भाशय में संक्रमण, हार्मोन्स के असंतुलन तथा पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। इसमें प्रभावित पशुओ में दो ब्यात के बीच का अन्तर बढ़ जाता है। पशु वर्ष ब्याबह नहीं रहता।   ओसर सही उम्र पर गर्मी पर नहीं आती। ब्याने के बाद भी कई कई महीनो तक गर्मी में नहीं आता तथा बार बार गर्भधारण करने पर भी गर्भ नही ठहरता। उसके कारण पशुपालको भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
   
4.अस्थायी बांझपन इलाज और बचाव और दोनों संभव है। शर्त यह है कि पशु को उच्च गुणवत्ता का संतुलित आहार उचित मात्रा में नियमित रुप से प्राप्त होता है।

अयन बाख की देखभाल:
 
1.याद रखिये एक लीटर दूध बनाने के लिए पशु के अयन बाख में 500 लीटर खून को दौरा कराना पड़ता है।
 
2.पशु का दूध 7 या 8 मिनट की अवधि की में दूह लेंना चाहिये इसके बाद अयन में रक्त का प्रवाह सामान्य हो जाता है और दूध का उतरना बन्द हो जाता है
 
3.स्वच्छ दूध प्राप्त करने के लिए थनैला रोग और थनों की साफ सफाई रखना पशुशाला के फर्श को समतल और साफ सुथरा रखना दूध दुहने के बाद थनों व अयन को साफ पानी अथवा पोटेशियम परमैगनेंट  के घोल से धोना चाहिए।
 
4.पशुशाला के फर्श में गड्ढे या कंकर पत्थर पडे़ होने अथवा उस पर गंदगी होने से अयन व थनों में चोट तथा थनैला रोग के जीवाणुओं संक्रमण का खतरा बना रहता है।



Article Credit:http://www.gwalafeeds.com/news/news8.aspx

6 comments:

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