दुग्ध योजना, गुजरात
गुजरात भारत का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक राज्य है । इस राज्य में दुग्ध उत्पादन तथा विपणन (मार्केटिंग) हेतु उत्तम आधारभूत ढांचा है ।जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी यूनियन गाँव में स्थित प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियो से दुग्ध एकत्र करती है.
विगत पांच वर्षो में एनएसटीएफडीसी ने दुग्ध योजनाओ के छह चरण मंजूर किये है, जिनमे इसकी हिस्सेदारी 10,000 लाख रूपये केलगभग है । दुगनी गरीबी सीमा रेखा के नीचे गुजर बसर करने वाले अनुसूचित जनजाति विकास निगम को 71 लाख रूपये स्वीकृत कियेगए है । यह योजना राज्य के उन कई जिलो में कार्यान्वित की गई है , जहाँ पर आदिवासीयों की आबादी अधिक है । ये जिले है - बडौदा,बनसंकात , साबरकांत, पंचमहल, भरूच, सूरत तथा तापी । इस योजना की विशेषताएं निम्नलिखित है -
1. प्रत्येक लाभार्थी को 50% ऋण अनुदान पर दो दुधारू पशु उपलब्ध कराये जाते है ।
2. जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों तथा गुजरात आदिवासी विकास निगम (जीटीडीसी) द्वारा लाभार्थियों की पहचान की जाती है ।
3. प्रत्येक गाँव में दुग्ध क्रय केंद्र, दुग्ध में वशा की मात्र का पता लगाकर प्रति लीटर दुग्ध का मूल्य तह करते है ।
4. ऋण की क़िस्त काटकर लाभार्थियों को एक माह में तीन बार भुगतान किया जाता है ।
5. पशुचारा की आवश्यकताएं सामान्त: तथा स्थानीय स्तर पर ही पूरी की जाती है, यदि आवशकता पड़े तो इसे बहार से भी मंगाया जाता है ।
6. जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां पशुयों के लिए चिकित्सा सुविधाएँ भी उपलब्ध कराती है । आपात स्थिति में पशु चिकित्सक लगभग चौबीस घंटे उपलब्ध मिलते हैं ।
जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी यूनियनो द्वारा उपलब्ध कराये गए उक्त आधारभूत सुविधाओं से गुजरात राज्य में एनएसटीएफडीसी की इस दुग्ध योजना को आशातीत सफलता मिली है
Article Credit:http://nstfdc.nic.in/hindi/success_story/?story=sstory&sid=15
विगत पांच वर्षो में एनएसटीएफडीसी ने दुग्ध योजनाओ के छह चरण मंजूर किये है, जिनमे इसकी हिस्सेदारी 10,000 लाख रूपये केलगभग है । दुगनी गरीबी सीमा रेखा के नीचे गुजर बसर करने वाले अनुसूचित जनजाति विकास निगम को 71 लाख रूपये स्वीकृत कियेगए है । यह योजना राज्य के उन कई जिलो में कार्यान्वित की गई है , जहाँ पर आदिवासीयों की आबादी अधिक है । ये जिले है - बडौदा,बनसंकात , साबरकांत, पंचमहल, भरूच, सूरत तथा तापी । इस योजना की विशेषताएं निम्नलिखित है -
1. प्रत्येक लाभार्थी को 50% ऋण अनुदान पर दो दुधारू पशु उपलब्ध कराये जाते है ।
2. जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों तथा गुजरात आदिवासी विकास निगम (जीटीडीसी) द्वारा लाभार्थियों की पहचान की जाती है ।
3. प्रत्येक गाँव में दुग्ध क्रय केंद्र, दुग्ध में वशा की मात्र का पता लगाकर प्रति लीटर दुग्ध का मूल्य तह करते है ।
4. ऋण की क़िस्त काटकर लाभार्थियों को एक माह में तीन बार भुगतान किया जाता है ।
5. पशुचारा की आवश्यकताएं सामान्त: तथा स्थानीय स्तर पर ही पूरी की जाती है, यदि आवशकता पड़े तो इसे बहार से भी मंगाया जाता है ।
6. जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां पशुयों के लिए चिकित्सा सुविधाएँ भी उपलब्ध कराती है । आपात स्थिति में पशु चिकित्सक लगभग चौबीस घंटे उपलब्ध मिलते हैं ।
जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी यूनियनो द्वारा उपलब्ध कराये गए उक्त आधारभूत सुविधाओं से गुजरात राज्य में एनएसटीएफडीसी की इस दुग्ध योजना को आशातीत सफलता मिली है
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