Friday, November 22, 2013

हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा उत्पादन तकनीक से बढ़ा मुनाफा

हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा उत्पादन तकनीक से बढ़ा मुनाफा

दूध की अपनी रोजाना की जरूरतें पूरा करने के लिए गोवा पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है, क्योंकि गोवा में दूध का उत्पादन इसकी रोजाना की जरूरत का एक तिहाई ही हो पाता है। दरअसल, प्रदेश के डेयरी व्यवसाय में सबसे बड़ी समस्या चारे की है। राज्य के 80 प्रतिशत किसानों के पास एक हैक्टर से भी कम जमीन है। ऐसी स्थिति में चारागाह के लिए भूमि ही नहीं बचती है। इसके अलावा मृदा लवणता, बाड़ लगाने में उच्च लागत और महंगे मानव श्रम के कारण भी राज्य में चारा की कीमत ज्यादा है। यहां कन्सन्ट्रेट चारा, हरा चारा और सूखा चारा की वार्षिक मांग क्रमशः 1.23, 10.08 और 1.67 लाख टन है लेकिन उत्पादन इसकी तुलना में काफी कम है। कन्सन्ट्रेट चारा, हरा चारा और सूखा चारा की कीमत क्रमशः 15, 5 और 10 रुपये प्रति किलोग्राम है।
किसानों की इस समस्या को देखते हुए भारत सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत गोवा डेयरी की ओर से आईसीएआर अनुसंधान परिसर, पुराना गोवा में हाईड्रोपोनिक्स तकनीक से हरा चारा उत्पादन इकाई की स्थापना की गई है। हाईड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है, जिसमें फसलों को बिना खेत में लगाए केवल पानी और पोषक तत्वों से उगाया जाता है। ऐसी ही 10 और इकाइयां गोवा की विभिन्न डेयरी कोऑपरेटिव सोसायटियों में लगाई गई हैं। प्रत्येक इकाई की रोजाना 600 किलोग्राम हरा चारा उत्पादन की क्षमता है। आईसीएआर अनुसंधान परिसर हाइड्रोपोनिक्स हरा चारा के उत्पादन और इसके मानकीकरण के साथ ही किसानों को इस संबंध में तकनीकी परामर्श भी उपलब्ध करा रहा है।
मक्के से उगाया जाता है यह चारा
यह चारा मक्के से उगाया जाता है। इसके लिए 1.25 किलोग्राम मक्के के बीज को चार घंटे पानी में भिगोया जाता है फिर उसे 90X32 सेमी की ट्रे में रख दिया जाता है। एक हफ्ते में यह हरा चारा तैयार हो जाता है। ट्रे से निकालने पर यह चारा जड़, तना और पौधे वाले मैट की तरह दिखता है। एक किलोग्राम पीला मक्का (CT-818) से 3.5 किलोग्राम और एक किलोग्राम सफेद मक्का (GM-4) से 5.5 किलोग्राम हाइड्रोपोनिक्स हरा चारा तैयार होता है। सफेद मक्के से तैयार किए गये हाइड्रोपोनिक्स चारे की उत्पादन लागत चार रुपए प्रति किलोग्राम जबकि पीला मक्का से तैयार करने पर उत्पादन लागत पांच रुपए प्रति किलोग्राम आती है। परंपरागत हरा चारा में क्रूड प्रोटीन 10.7 प्रतिशत होती है जबकि हाइड्रोपोनिक्स हरा चारा में क्रूड प्रोटीन 13.6 प्रतिशत होती है। परंपरागत हरा चारा में क्रूड फाइबर 25.9 प्रतिशत जबकि हाइड्रोफोनिक्स हरा चारा में क्रूड फाइबर 14.1 प्रतिशत ही होता है। एक डेयरी मवेशी के लिए एक दिन में 24 किलो हाइड्रोपोनिक्स हरा चारा पर्याप्त है। हरा चारा डेयरी मवेशियों के लिए अनिवार्य है। हालांकि जहां पर इसकी उपलब्ध्ता न हो वहां हाइड्रोपोनिक्स हरा चारा का उत्पादन किसान कर सकते हैं।
इससे दूध उत्पादन भी बढ़ता है
गोवा के परनेम तालुका के मंदरेम गांव निवासी श्री सूर्यकांत बी. गवड़े के पास 12 संकर गायें और बछिया हैं। इनसे इन्हें प्रतिदिन 60-70 लीटर दूध मिलता है। हाईड्रोपोनिक्स तकनीक से हरा चारा उत्पादन की 11 में से एक इकाई सूर्यकांत के डेयरी फार्म पर भी लगाई गई है। तभी से वह अपने मवेशियों के लिए हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा तैयार करते हैं। प्रत्येक गाय को प्रतिदिन 10 किलोग्राम हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा देते हैं जिससे प्रति गाय प्रतिदिन उनका एक किलोग्राम कन्सन्ट्रेट चारा मिश्रण बचता है। साथ ही प्रति गाय प्रतिदिन एक लीटर दूध अधिक मिलता है जो कि उनके कुल दूध उत्पादन का 12.5 प्रतिशत है। जिन बछिया-बछड़ों को 1-2 प्रतिदिन किलो हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा दिया गया उनका वजन तेजी से बढ़ा और उनका स्वास्थ्य अच्छा है। हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा पर सूर्यकांत प्रतिदिन 40 रुपए खर्च करते हैं। इससे कन्सन्ट्रेट चारा मिश्रण के 20 रुपए बचते हैं और बढ़े हुए दूध से 30 रुपए आय होती है। यानी उन्हें प्रतिदिन 10 रुपए का शुद्ध लाभ होता है, साथ ही उनके मवेशी भी स्वस्थ रहते हैं।

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