Friday, November 8, 2013

दूध उत्पादन में बढ़ौतरी पशुओं की नस्ल व पौष्टिक आहार पर अधिक निर्भर करती है

दूध उत्पादन में बढ़ौतरी पशुओं की नस्ल व पौष्टिक आहार पर अधिक निर्भर करती है। जनसंख्या वृद्धि के साथ सार्वजनिक चारागाह वाली जगहों में लगातार कमी होने के कारण पशुओं के लिए खासकर रबी मौसम में हरे चारे की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए किसान या पशुपालक अपने खेत में हरे चारे की विभिन्न फसल उगाकर चारे की पूर्ति के साथ-साथ अपनी आमदनी में भी वृद्धि कर सकते हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए एक प्रवक्ता ने बताया कि पशु आहार के लिए हरे चारे के रूप में सबसे अच्छी फसल है, बरसीम। यह पशुओं के लिए सबसे अच्छा गुणकारी चारा है। कई कटाई देने वाली यह चारा फसल किसानों के लिए काफी लाभदायक है। बरसीम जहां भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है, वहीं यह कल्लर भूमि को भी सुधारने का काम करती है। इस फसल की बिजाई के लिए काली मिट्टी अधिक उपयोगी मानी जाती है, जिसमें जल धारण करने की क्षमता अधिक होती है। इस फसल की बिजाई के लिए खेत को तैयार कर उसकी क्यारियां बना लेनी चाहिए। इसकी बिजाई दो तरीके से की जा सकती है। पहला तैयार क्यारियों में पांच से सात सेंटीमीटर गहरा पानी भरकर उसमें बीज छिड़क देना चाहिए। दूसरा बीज को सूखी मिट्टी में मिलाकर उसमें पानी भर देना चाहिए। एक एकड़ में 8 से 10 किलोग्राम बीज पर्याप्त रहता है। बीज की बिजाई से पहले उसका उपयुक्त उपचार अवश्य कर लें। बरसीम की एक मैस्कावी किस्म है, जिससे 5-6 कटाई ली जा सकती हैं। दूसरी किस्म हिसार बरसीम-1 है, जो मैस्कावी के मुकाबले अधिक पत्तेदार व जल्दी बढ़ने वाली है। उन्होंने बताया कि दूसरी हरे चारे की फसल जई है, जो पशुओं में दूध बढ़ाने व शक्ति प्रदान करने वाली फसल है। हरियाणा जई (एचएफओ-114) व हरियाणा जई-8 एक से अधिक कटाई देने वाली किस्में हैं। इसके अलावा ओएस-6 व ओएस-7 एक कटाई देने वाली अच्छी किस्में हैं। चारे की अधिक पैदावार के लिए बीज को एजेक्टोबैक्टर से उपचारित किया जाए। प्रवक्ता ने बताया कि हरे चारे के रूप में एक और फसल है, मैथी। यह दलहनी फसल पशुओं के आहार व चारे के रूप में प्रयोग की जाती है। इसमें औषधीय गुण होने के कारण पाचन क्रिया ठीक रखती है। इसे हरी सब्जी व बीजों को मसालों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसकी टी-8 व एचएम-65 उत्तम किस्में हैं।  उन्होंने बताया कि पशुओं के लिए रिजका (लुर्सन) एक पौष्टिक हरा चारा है। यह दलहनी बहुवर्षीय फसल है। इसमें प्रोटिन के साथ-साथ कैल्शियम, पोटाशियम व फास्फोरस पाया जाता है। इससे बरसात के मौसम के अलावा हर समय हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। इस चारे को घोड़े व कामगार पशु अधिक पसंद करते हैं। यह फसल खेत की मिट्टी को सुधारने के साथ उसकी उर्वरा शक्ति भी बढ़ाती है। रिजका की अधिक उत्पादन देने वाली बहुवर्षीय किस्म लुर्सन टी-9 है। यह तेज बढ़ने वाली, पतले तने, फूल बैंगनी रंग व गहरे हरे रंग की पत्तियों वाली किस्म है। एक बार बोई गई फसल से पांच वर्ष तक चारा प्राप्त किया जा सकता है। इसे चार-पांच किलोग्राम की मात्रा में प्रति एकड़ बोया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा चीनी सरसों (चाइनजीज कैबेज) अच्छी पौष्टिकता वाला उत्तम चारा है। इसमें किसी प्रकार के हानिकारक तत्व नहीं पाए जाते। इसके पत्ते शीघ्र बढ़ने वाले, मुलायम व स्वादिष्ट होते हैं। यह सरसों की सबसे अधिक चारा देने वाली प्रजाति है। इससे प्रति एकड़ 150 से 200 क्विंटल हरा चारा मिल जाता है।


Article Credit:http://haryana21.com/newsroom/news.php?id=1737

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